अगर सच है तो पूरे यूपी की ना सिर्फ सियासत बदलने वाली है बल्कि जल्दी ही देश का भूगोल भी बदल जाएगा। खबर वायरल है कि मोदी-योगी सरकार के एक प्लान ने एक झटके में यूपी के पूरे विपक्ष को चित्त कर दिया है। ये वायरल खबर न जनसंख्या के लिहाज से देश के सबसे बड़े सूबे यानी यूपी के लोगों को बेचैन कर रही है, बल्कि हरियाणा और उत्तराखंड में रहने वालों के लिए भी चौंकाने वाली है। खबर वायरल है कि यूपी के बंटवारे का पूरा इंतजाम हो गया है, बस ऐलान बाकी है।
उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और हरियाणा तीनों राज्यों के मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री की इस बारे में चर्चा हो चुकी है। वायरल मैसेज के मुताबिक 31 मार्च 2018 के बाद से यूपी का मैप बदल जाएगा। पांच जिले जल्दी ही यूपी से हटकर हरियाणा और उत्तराखंड में शामिल होने वाले हैं। ये खबर वाट्स एप, फेसबुक ट्विटर और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर तेजी से वायरल हो रही है। ऐसा करने से केंद्र सरकार एक तीर से कई निशाने साधेगी, जैसे कि ऐसा करने से कई सालों से उठती आ रही हरित प्रदेश की मांग भी खत्म होती हुई नजर आएगी। इसके साथ ही पश्चिम उत्तर प्रदेश में हाई कोर्ट बनवाने की मांग पर भी पूरी तरह से विराम लग जाएगा। मायावती और मुलायम सिंह यादव की राजनीति भी खत्म हो जाएगी और साथ ही अजीत सिंह की जाटों वाली राजनीति से देश को छुटकारा मिलेगा।
इस वायरल मैसेज पर यकीन करें तो सरकार के एक दांव से यूपी में विपक्ष पूरी तरह तहस-नहस हो जाएगा और ऐसा करके BJP हमेशा के लिए इन तीनों राज्यों पर दबदबा कायम कर लेगी। वायरल मैसेज में कहा जा रहा है कि इन तीनों राज्यों में सरकार बीजेपी की ही है। इसलिए केंद्र की मोदी सरकार को ये फैसला लेने में कोई मुश्किल नहीं होगी। यही वजह है कि यूपी, उत्तराखंड और हरियाणा में इन दिनों यूपी के बंटवारे वाले वायरल मैसेज की चर्चा है।
ये वायरल मैसेज यूपी के विधायकों तक भी पहुंच चुका था। इसीलिए विपक्ष इस सरकार के गुपचुप कदम पर चौकन्ना दिख रहा था। हमने सबसे पहले बात की यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी से। समाजवादी पार्टी के राम गोविंद चौधरी ने कहा कि सरकार ऐसा कर सकती है, इसलिए वो विरोध की मशाल लेकर तैयार हैं। यूपी विधानसभा में हमने इस वायरल खबर पर कांग्रेस की राय भी पूछी। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि मोदी और योगी सरकार ने ऐसा किया तो कांग्रेस पूरे पश्चिमी यूपी में आंदोलन करेगी। अब तक की पड़ताल में एक बात तो साफ थी कि यूपी के बंटवारे वाली वायरल खबर ने यूपी में पूरे विपक्ष को डरा दिया है। विधायकों के मोबाइलों की घंटियां बज रही हैं और अपनी-अपनी राजनीति बचाने के जतन शुरू हो गए हैं।
वायरल खबर को कंफर्म करने के लिए हम पहुंचे भारतीय जनता पार्टी के आधिकारिक प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ बीजेपी के पास। सिद्धार्थ नाथ सिंह खुद इलाहबाद पश्चिम से विधायक हैं। सिद्धार्थ नाथ सिंह ने इस खबर को कोरी अफवाह करार दे दिया, लेकिन जिस तरह इस वायरल खबर से विपक्ष के विधायकों में हड़कंप मचा हुआ था। उसे देखते हुए इसकी पड़ताल उत्तराखंड और हरियाणा में भी जरूरी थी। उत्तराखंड में इस वायरल खबर की परीक्षा के लिए हमने सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक से संपर्क किया। यूपी और उत्तराखंड सरकारों ने इंटरनेट पर वायरल हो रही इस खबर को कोरी अफवाह बता दिया।
अब हमें एक ऐसे चेहरे की तलाश थी जो बता सके कि राज्य की सीमा में बदलाव कैसे किया जा सकता है। इसके नियम कानून क्या हैं और क्या ये काम गुपचुप तरीके से हो सकता है:
हमारी तलाश पूरी हुई बिहार सरकार के पूर्व सचिव स्तर के अधिकारी पूर्व आईएएस श्यामजी सहाय तक पहुंचकर। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार अपने स्तर से राज्य की सीमाओं में हेरफेर कर सकती है, लेकिन ये मामला संवैधानिक अधिनियम से संबंधित है और इसलिए बिना विधायिका के पारित किए बिना पुनर्गठन नहीं हो सकता है। राज्य की विधायिक से पारित होकर केंद्र को प्रस्ताव भेजा जाता है, फिर केंद्र सरकार उस प्रस्ताव को संसद के दोनों सदनों में पारित करेगी और उसके बाद ही किसी राज्य की सीमा में फेरबदल हो सकता है।
अभी तक न तो यूपी, उत्तराखंड या हरियाणा की विधानसभा में राज्यों की सीमा में फेरबदल का कोई प्रस्ताव पारित हुआ है और न ही उसे संसद के सामने बहस के लिए लाया गया है। ऐसे में UP के गुपचुप बंटवारे की वायरल खबर हमारी पड़ताल में पूरी तरह झूठ साबित हुई।
Comments
Post a Comment